समस्या / व्यवस्था

समस्या तात्कालिक है,
व्यवस्था त्रैकालिक,
समस्या व्यवस्था है, कर्मों की।
यदि समस्या को व्यवस्था मान लिया (कर्मों की) तो समस्या समाप्त, लेकिन यदि समस्या को अवस्था माना तो दु:ख।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

8 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने समस्या एवं व्यवस्था का वर्णन किया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में समस्या को व्यवस्था मान लिया तो कर्मों की समस्या समाप्त हो सकती है, यदि समस्या को अवस्था माना तो हमेशा दुखी रहोगे!

  2. 1) ‘व्यवस्था’ ko ‘त्रैकालिक’ kyun bola ?
    2) ‘समस्या को अवस्था माना’ ka kya meaning hai, please?

    1. 1) कोई भी व्यवस्था बनाओ तो वह long-term ही होगी न !
      जैसे कर्म की व्यवस्था त्रैकालिक ही होती है।
      2) समस्या आती क्यों है ?
      पाप कर्मों के उदय से। तो यह कर्मों की व्यवस्था ही हुई न !

  3. ‘यदि समस्या को अवस्था माना तो दु:ख।’ Aisa kyun kaha ?

    1. समस्या है क्या ?
      कर्मो की व्यवस्था ही तो है। इसे स्वीकारते ही दु:ख समाप्त न होंगे क्या ?

  4. Yaani ‘समस्या’ को ‘अवस्था’ na maankar, ‘कर्मो की व्यवस्था’ maane, right ?

    1. हाँ,
      हमने अच्छा/ बुरा कर्म किया, कर्म ने व्यवस्था बनायी कि accordingly पारितोषक/ सज़ा मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

April 30, 2023

July 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
293031