श्रुतकेवली / उपाध्याय
श्रुतकेवली आत्मा का गुण है, पद नहीं।
उपाध्याय पद है जिसे आचार्य या संघ देते हैं, पर चौथे काल में भी उदाहरण नहीं मिलता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
श्रुतकेवली आत्मा का गुण है, पद नहीं।
उपाध्याय पद है जिसे आचार्य या संघ देते हैं, पर चौथे काल में भी उदाहरण नहीं मिलता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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6 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने श्रुतकेवली एवं उपाध्याय की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
‘चौथे काल’ में kiska उदाहरण नहीं मिलता ?
उपाध्याय के sentence में कौमा के आगे का मतलब उपाध्याय के लिए।
Kya ‘चौथे काल’ में ‘उपाध्याय’ nahi hote hain ?
नहीं ।
Okay.