सुधार
अशुभ निमित्तों से भावनाओं को खराब होने मत दो।
ऐसे Object को देखते ही सुधार प्रक्रिया शुरु कर दो। जैसे युवा वेश्या का शव दिख जाए तो विचारें – काश ! ये अपने स्वस्थ शरीर को तप/ संयम में लगाती!
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
अशुभ निमित्तों से भावनाओं को खराब होने मत दो।
ऐसे Object को देखते ही सुधार प्रक्रिया शुरु कर दो। जैसे युवा वेश्या का शव दिख जाए तो विचारें – काश ! ये अपने स्वस्थ शरीर को तप/ संयम में लगाती!
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने सुधार करने का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए जब अपनी गलतियां लगती हैं तो सुधार करना परम आवश्यक है।