पुण्य प्रशंसनीय नहीं, लेकिन प्रारम्भिक अवस्था (गृहस्थ) में हर हेय का त्याग नहीं जैसे ज़हर से बनी दवा।
हाँ ! पुण्य की इच्छा नहीं करना पर छोड़ना नहीं है (अंतिम/ अगली अवस्था में छूट ही जाएगा)।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने पुण्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पापों का त्याग करना चाहिए ताकि पुण्य कमाने का मोका मिल सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने पुण्य का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पापों का त्याग करना चाहिए ताकि पुण्य कमाने का मोका मिल सकता है।