श्रद्धा / प्रमेयत्व
सामान्य दृष्टि से सब नहीं दिखता। चश्मा लगा कर बेहतर, श्रद्धा से अरूपी पदार्थ भी।
प्रमेयत्व गुण की वजह से रूपी/ अरुपी पदार्थ देखे जाते हैं। प्रमेयत्व गुण यानी जो किसी ज्ञान का विषय बने।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
सामान्य दृष्टि से सब नहीं दिखता। चश्मा लगा कर बेहतर, श्रद्धा से अरूपी पदार्थ भी।
प्रमेयत्व गुण की वजह से रूपी/ अरुपी पदार्थ देखे जाते हैं। प्रमेयत्व गुण यानी जो किसी ज्ञान का विषय बने।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने श्रद्वा एवं प़मेयत्व की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कुछ उपलब्धि करना हो तो श्रद्वा का होना परम आवश्यक है।