भय
छूटने की कल्पना से ही भय होता है, वैभव/ शरीर/ प्रियजनों के छूटने का भय।
यदि इन सबको नश्वर मान लो और आत्मा को अनश्वर तो भय समाप्त।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
छूटने की कल्पना से ही भय होता है, वैभव/ शरीर/ प्रियजनों के छूटने का भय।
यदि इन सबको नश्वर मान लो और आत्मा को अनश्वर तो भय समाप्त।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
One Response
मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने भय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः अपनी आत्मा को पहिचान कर लोगो तो भय से डरने की आवश्यकता नहीं रहेगी।