आचार्यों के लिये गुप्ति मूलगुण है।
साधुओं के लिये ध्यान की सिद्धि में सहायक।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने गुप्ति की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। श्रावकों को जीवन में समता के भाव रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने गुप्ति की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। श्रावकों को जीवन में समता के भाव रखना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
That means साधुओं के लिये, ‘गुप्ति, मूलगुण nahi hai ?
सही, यही तो कहा है।
Okay.