क्षयोपशम सम्यग्दर्शन

जब क्षयोपशम सम्यग्दर्शन, सम्यक् प्रकृति के उदय से होता है तो इसके भाव को औदयिक-भाव क्यों नहीं कहा ?
सम्यक् प्रकृति का उदय मुख्य कार्य/ भाव नहीं है, यह तो दोष लगाती है तथा घटती/ बढ़ती भी रहती है। मुख्य कार्य तो 6 प्रकृतियों का क्षयोपशम है इसलिये इसमें क्षयोपशम-भाव कहा है।

मुनि श्री प्रणम्य सागर जी (तत्त्वार्थ सूत्र– 2/6)

Share this on...

One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने क्षपोपशम सम्मकदर्शन की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

February 16, 2024

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930