मन –> संस्कारानुसार काम करता है,
दिल –> रागादि से,
दिमाग –> बाहरी Information से।
मुनि श्री प्रणम्य सागर जी
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मन, दिल, दिमाग की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दिमाग की जरुरत नहीं रहती है बल्कि मन एवं दिल को नियंत्रित रखना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने मन, दिल, दिमाग की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दिमाग की जरुरत नहीं रहती है बल्कि मन एवं दिल को नियंत्रित रखना परम आवश्यक है।