भेद-विज्ञान
संसार व परमार्थ में प्रगति के लिये हर क्षेत्र में भेद-विज्ञान ज़रूरी है..
1.हर कार्य के लिये कालों का निश्चय करना।
2.क्षेत्रों में भेद…कहाँ क्या कार्य करना।
3.हर इंद्रिय का विभाजन…जैसे आँख को क्या देखना, क्या नहीं।
4.कपड़ों में भेद…अवसर के अनुसार।
5.वस्तुओं में विवेक… मेरी/ परायी, हितकारी/ अहितकारी।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी