द्रव्य-इंद्रियों की रचना मुख्यतः नामकर्म (अंगोपांग + शरीर नाम) के उदय से।
भाव-इंद्रियों में ज्ञानावरणी कर्म के क्षयोपशम की मुख्य भूमिका।
मतिज्ञानावरण + वीर्यांतराय कर्मों के क्षयोपशम से एक-एक इंद्रिय सम्बंधी मतिज्ञान आता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थसूत्र- 2/33)
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मुनि श्री प़णम्य सागर महाराज जी ने इन्द़ियों की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्य सागर महाराज जी ने इन्द़ियों की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।