बुद्ध

बुद्ध यानी वैराग्य को प्राप्त।
प्रकार =>
1. बोधित बुद्ध – वैराग्य के उपदेश सुनकर
एक समय में उत्कृष्ट से बोधित बुद्ध = 108
स्वर्ग से आकर – 108 (पिछले जन्म का प्रभाव)।
पुरुष वेदी भाव – 108
(तीनों उत्कृष्ट संख्या) ।
2. स्वयं बुद्ध – स्वयं वैराग्य को प्राप्त।
3. प्रत्येक बुद्ध – निमित्त से वैराग्य को प्राप्त।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकांड :गाथा – 630)

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9 Responses

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने बुद्ध को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।

  2. ‘बोधित बुद्ध’ bhi ‘प्रत्येक बुद्ध’ ki category me nahi aayega kyunki उपदेश ke निमित्त से ho raha hai ?

    1. नहीं,
      प्रत्येक वैराग्य, उपदेश के अलावा अन्य निमित्तों से।

  3. ‘वैराग्य’ ya ‘वैराग्य उपदेश’ ? Ise clarify karenge, please ?

  4. उत्कृष्ट से बोधित बुद्ध ,स्वर्ग से आकर aur पुरुष वेदी भाव ka meaning clarify karenge, please ?

    1. 3 बुद्धौ में बोधित ही एक समय में उत्कृष्ट से 108.
      108 ही उत्कृष्ट से स्वर्ग से आकर एक समय में तथा पुरुष वेदी मोक्ष जा सकते हैं।

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