शरीर

शरीर ….
कर्म शिल्पकार की रचना है।
मिट्टी की इमारत कब ढल जाए पता नहीं, फिर गुमान क्यों ?
ये चंद साँसों के पिल्लर पर खड़ा है।
जो न होती इसके ऊपर चाम की चादर पड़ी,
कुत्ते नौंचते रहते इसे हर घड़ी।

आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी (03 अगस्त 2024)

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One Response

  1. आर्यिका श्री पूणमति माता जी ने शरीर को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए शरीर नश्वर है, उसकी तरफ ध्यान नहीं रखना है बल्कि आत्मा के कल्याण के लिए करना परम आवश्यक है।

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