डर एक में नहीं, अनेक से होता है।
विडंबना, हम एक से अनेक होने के लिए भारी पुरुषार्थ करते रहते हैं।
आर्यिका पूर्णमति माता जी (4 अक्टूबर)
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4 Responses
आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने ड़र का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में उतना ही पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है, जिससे डर की भावना नहीं रहना चाहिए।
दूसरा कोई होगा ही नहीं तो डर किससे !
मुनिराज जब अपने में होते हैं तो उनको किसी बाह्य से डर नहीं, चाहे शेर आ जाए या देवता उपसर्ग करें।
सिद्ध/अरहंत भगवान अपने में, कोई डर नहीं।
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने ड़र का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में उतना ही पुरुषार्थ करना परम आवश्यक है, जिससे डर की भावना नहीं रहना चाहिए।
‘डर एक में नहीं, अनेक से होता है।’ Is sentence ka meaning explain karenge, please ?
दूसरा कोई होगा ही नहीं तो डर किससे !
मुनिराज जब अपने में होते हैं तो उनको किसी बाह्य से डर नहीं, चाहे शेर आ जाए या देवता उपसर्ग करें।
सिद्ध/अरहंत भगवान अपने में, कोई डर नहीं।
Okay.