ब्रह्म समाज के संस्थापक श्री रामकृष्ण परमहंस से चिढ़ते थे।
एक दिन बोले –> मैं तुम्हें हराने आया हूँ।
श्री रामकृष्ण लेटकर बोले –> लो मैं हार गया।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
Share this on...
One Response
ब़ डाॅ नीलेश भैया जी ने हार जीत को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हार जीत से कभी घबडाना ने आवश्यकता नहीं है बल्कि संघर्ष की आवश्यकता रहती है।
One Response
ब़ डाॅ नीलेश भैया जी ने हार जीत को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए हार जीत से कभी घबडाना ने आवश्यकता नहीं है बल्कि संघर्ष की आवश्यकता रहती है।