गुरु
एक गुरु ने अपने शिष्य को लाठी चलाने की शिक्षा पूर्ण कर दी। शिष्य माहिर भी हो गया पर उसे गुमान आ गया कि वह तो अपने गुरु से भी ज्यादा अच्छी लाठी चला लेता है। एक दिन उसने गुरु को चुनौती दे दी, युद्ध करें।
तैयारी के दौरान गुरु 10 हाथ लंबी लाठी को रोज तेल पिलाता था। जब शिष्य को पता लगा तो वह बीस हाथ लंबी लाठी तैयार करने लगा।
चुनौती वाले दिन 20 हाथ की अपनी लाठी लेकर शिष्य आया जबकि गुरु 2 हाथ का डंडा। युद्ध शुरू हुआ जब तक शिष्य 20 हाथ की लाठी चलाता गुरु दौड़ के उसके पास आया और दो हाथ के डंडे से प्रहार करने लगा। शिष्य हार गया। गुरु साथ में दवा भी लाया था फिर दवा लगाई।
तब शिष्य को समझ में आया गुरु तथा अनुभव से बड़ा कभी नहीं हो सकता। तब उसने गुरु से क्षमा मांगी।
One Response
गुरु का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी भी गुरु से मुकाबला करने के भाव नहीं रहना चाहिए। गुरु श्रद्धा के पात्र होते हैं, उनकी इज्जत करना परम आवश्यक है।