यदि दु:ख में भगवान याद आते हैं तो इसमें अचरज क्या !
चकोर को भी चंद्रमा अंधेरी रात में ही अच्छा लगता है।
स्वाध्याय सान्निध्य आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी
(षटशती-श्र्लोक-88; आचार्य श्री विद्यासागर जी)
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने दुख मे भगवान् को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दुख एवं सुख में सहने का साहस मागना उचित रहेगा।
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आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने दुख मे भगवान् को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दुख एवं सुख में सहने का साहस मागना उचित रहेगा।