दोष-दर्शन
एक व्यक्ति को दोष देखने की आदत थी। गुरू ने कहा जब किसी के दोष दिखें या बोलो तब अपने घर के सामने एक पत्थर रख लो।
थोड़े दिन में इतने पत्थर जमा हो गये कि घर में घुसना मुश्किल हो गया।
दोष-दर्शन वाले के अंत में इतने पत्थर जमा हो जाते हैं कि वह अपनी आत्मा में प्रवेश कर नहीं सकता।
दोष-दर्शन की वृत्ति रहेगी तो देवदर्शन / निज आत्मा के दर्शन नहीं होंगे।
One Response
True,
great.