Best Film
पूरे सात मिनिट तक अस्पताल का गेट दिखाते रहे। दर्शकों का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया। सीन बदला, तो एक बुज़ुर्ग सात मिनिट तक छत देखते रहे।
नर्स, डाक्टर आते-जाते रहे।
तब घोषणा हुई: “आप सात मिनिट तक एक सीन नहीं देख पाये। ऐसे कितने मरीज़ हैं, जो सालों से अंधेरा ही देखते रहते हैं, या एक ही अस्पताल का सीन? उनका दर्द महसूस करें; अपने को भाग्यशाली मानें!”
हर दर्शक की आंखों में आँसू थे। आधे लोगों की, ऐसे मरीज़ों के दुर्भाग्य पर; और शेष की, अपने सौभाग्य को नज़र-अंदाज़ करने पर।
2 Responses
बैस्ट फिल्म का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः जीवन में ऐसी फिल्म दिखाना चाहिए ताकि प़त्येक मनुष्य के जीवन पर असर आना चाहिए ताकि अपने जीवन का कल्याण करने में समर्थ हो सकता है!
Jitni yeh story simple hai, utna hi iska message strong and impactful hai !