Category: वचनामृत-आचार्य श्री विद्यासागर

शक्ति

आज शक्ति इसलिये क्षीण हो रही है, क्योंकि आजकल ना तो विधि है और ना ही भाव हैं ।

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धर्म

धर्म की पहचान, अधर्म पहचानने से होगी । अधर्म कम करते जाओ, जीवन में धर्म आता जायेगा । अधर्म किसके लिये ? शरीर के लिये

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बुद्धि

जिसका दिमाग (ज्ञान) ज्यादा चलता है, उसके पैर (चारित्र) कम चलते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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तिथि

तिथियां तो 15 या कम होतीं हैं, पर उन तिथियों में किसी अतिथी के आने या जाने से वे पूज्य हो जातीं हैं । आचार्य

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धर्म-पुरूषार्थ

शुभ सरस्वती है तथा लाभ लक्ष्मी है । पर हम सब लाभ ही लाभ के पीछे लगे रहते हैं । शुभ बढ़ा लो ( अपने

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विश्वास

शोध तो बोध से ही होता है और बोध विश्वास से। आचार्य श्री विद्यासागर जी

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अनुकूलता/प्रतिकूलता

अनुकूलताओं में यदि ज्यादा खुश हुये तो प्रतिकूलताओं में ज्यादा दुःखी होंगे ही । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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