Tag: कर्म
भाग्य/कर्मोदय
आपा रोका जा सकता है, जापा नहीं। स्व.अम्मा जी – एटा (आपा = जो अपने हाथ में हो। जापा = Delivery/कर्मोदय)
कर्म
कर्म तो रस्सी हैं , या तो काट लो, या बांध लो । (कटेंगे नहीं तो गले का फंदा बनते जायेंगे) चिंतन
कर्म क्षय
भगवान की भक्ति से कर्म कटते हैं, भगवान खुद कर्म नहीं काटते । श्री लालमणी भाई
कर्म फल
आपको शराब और शर्बत Offer किए जाये तो Selection आपके हाथ में है । यदि शराब पी तो नशा आएगा ही, थू थू होगी ही
कर्मफल
कर्म तो लगातार फलित होते ही रहते हैं , यदि आत्मा को जाग्रत रखें तो वे कर्म बिना फल दिये ही झर जायेंगे ।
पुरूषार्थ/कर्मोदय
पुरूषार्थ = Doing/ करना । कर्मोदय = Being/ हो जाना । आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी
कर्म
पूरी सावधानी के साथ झूले पर बैठा फिर भी जरा सी हलचल से झूला बहुत देर तक हिलता रहा । सावधानी के साथ किये गये
कर्मों का स्वभाव
जब मेघनाथ गर्भ में थे, तब रावण ने ज्योतिषी से पूछा – यह बच्चा मृत्यु पर विजयी कैसे होगा ? ज्योतिषी ने कहा – जब
निर्जरा/तप
कर्म बांधना चाहते हो या काटना ? पर Action तो सारे बांधने के हैं ! सर्दी लगी – ऊनी कपड़े पहन लिये, गर्मी लगी –
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