Tag: पाप
पाप
कच्चा पारा और पका पाप छुपते नहीं हैं, शरीर से फूट फूट कर निकलते हैं । मुनि श्री कुंथुसागर जी
पाप/पुण्य
10 kg पंख या 10 kg पीतल में से क्या ढोना पसंद करोगे ? पीतल क्यों ? ढोने में आसानी लोगों की नज़र में कम
पाप/पुण्य
पाप और पुण्य फुटबॉल के खेल की दो टीमें हैं। कम से कम पाप के गोल पुण्य से अधिक मत होने देना, पुण्य को जिताने
पाप/पुण्य
पापोदय दु:ख को खाता है, पुण्योदय सुख को । श्रीमति साधना – मुम्बई
पाप/पुण्य
पाप करना आसान है, उसका फल भुगतना कठिन । पुण्य करना कठिन है, उसका फल भुगतना आसान । (श्री आनंद)
पाप और पश्चाताप
जिस पाप के पीछे पश्चाताप हो, वो पाप बड़ा होने पर भी छोटा है; और जिस पाप के पीछे पश्चाताप ना हो, वो छोटा होने
क्रिया और पाप
पाप का बंध क्रियायें करने से ही नहीं, कभी कभी क्रियायें न करने से भी हो जाता है, जैसे किसी असहाय की सहायता न करना
दान
दान से हमारे खाते में पुण्य नहीं पहुँच पाता, मात्र कुछ पाप धुल पाते हैं । क्योंकि पुरूष ढेरों पाप करते हैं, धन कमाने में,
पुण्य/पाप
जब खर्च कर रहे हो तो मान के चलिए कि पुण्य की कमाई है, और जब दान दे रहे हो तो मान के चलिए कि पाप की
गृहस्थी
गृहस्थी में चाहकर भी बहुत सी पाप क्रियाओं से बच नहीं पाते, साधुजन अनचाहे भी बहुत सी पाप क्रियाओं से बचे रहते हैं । चिंतन
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