Tag: मुनि श्री प्रमाणसागर जी
ज्ञान/श्रद्धा
अंधे को उपदेश की नहीं, आँखों की ज़रूरत होती है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
मंदिर
मंदिर की क्या जरूरत है, भगवान तो हमारे दिल में है ? आपके प्रियजन भी तो आपके दिल में हैं, फिर उनसे मिलने क्यों जाते
जीवन
सारंगी जीवन है, सारंगी के ज्ञान रूपी तारों को , साधना रूपी ऊँगुलियों से बजाया तो मधुर संगीत निकलेगा, वरना ये सारंगी कवाड़ा हो जायेगी ।
धर्म
धर्म का सहारा लेकर हम मृत्यु से तो नहीं बच सकते, हाँ ! मृत्यु के भय से जरूर बच सकते हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
उत्तम त्याग धर्म
आप आम को खाने से पहले उसे दबा दबा कर ढ़ीला करते हैं, फिर उसके ऊपर से टोपी (ड़ंठल) हटाते हैं, खाने से पहले चैंप
धर्म की सीख
धर्म गले लगाकर सिखाया जाता है, ठुकराकर नहीं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
तर्क/कुतर्क
तथ्य को समझने के लिये जो संवाद होते हैं, वे तर्क हैं । तथ्य को काटने वाले संवाद कुतर्क हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
कर्तृत्व/कर्तव्य
कर्तृत्व में कर्ता का भाव है, अहम् है, कर्तव्य में बिना पाने की इच्छा के सेवा भाव है । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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