Tag: सुरेश

सुगंध

फूंक मार कर दिये को बुझा सकते हैं…! किन्तु… अगरबत्ती को नहीं… क्योंकि जो सुगंध फैलाता है, उसे कोई बुझा नहीं सकता…!! (सुरेश)

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धीरज

जब जल गंदा हो जाता है तो उसे हिलाते नहीं, शांत छोड़ देते हैं , धीरज रखते हैं……., गंदगी अपने आप नीचे बैठ जाती है….

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डर

एक “माटी” का “दिया” सारी रात अंधियारे से लड़ता है.. तू तो “भगवान” का “दिया” (हुआ) है, तू किस बात से डरता है ! (सुरेश)

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वज़ूद

‘तिनका’ हूँ तो क्या हुआ, ‘वज़ूद’ है मेरा, उड़ उड़ के हवा का ‘रुख़’ तो बताता हूँ…। (सुरेश)

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मंगल आशीष

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