Tag: सुरेश

तराज़ू

सगा वो… जिसके पास तराज़ू (लाभ/ हानि की) ना हो । (सुरेश) सगा वो… जिसके पास तराज़ू (न्याय की) हो ।

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कड़वी बातें

कड़वी गोलियाँ चबाई नहीं, निगली जाती हैं । उसी प्रकार जीवन में अपमान,असफलता ,धोखे जैसी कड़वी बातों को सीधे गिटक जाऐं… उन्हें चबाते रहेंगे यानि

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दुनिया

हरिवंशराय बच्चन जी की एक ख़ूबसूरत कविता, “रब” ने नवाज़ा हमें ज़िंदगी देकर, और हम “शौहरत” माँगते रह गये । ज़िंदगी गुज़ार दी शौहरत के पीछे, फिर जीने की

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उतावली

असफलता का एक कारण – छलाँग लगाते समय घोड़े की लगाम को खींच लेना । (सुरेश)

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समस्या

नदी में गिरने से किसी की जान नहीं जाती, जान तभी जाती है जब तैरना नहीं आता । परिस्थितियाँ कभी समस्या नहीं बनतीं, समस्या तभी

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दिमाग़

जब दिमाग़ कमज़ोर होता है, परिस्थितियाँ समस्या बन जाती हैं। जब दिमाग़ स्थिर होता है, परिस्थितियाँ चुनौती बन जाती हैं। किंतु जब दिमाग़ मज़बूत होता

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दिशाहीनता

नाविक को यदि मालूम ही न हो कि उसे किस बंदरगाह की ओर जाना है, तो उसे हवा का हर रुख उल्टा ही लगेगा ।

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भाग्य

हाथ की लकीरें कितनी शातिर होती हैं ! मुठ्ठी में रहते हुए भी,  मुठ्ठी में नहीं । (सुरेश)  

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धन / धर्म

धन की रक्षा करनी पड़ती है, धर्म हमारी रक्षा करता है । धन के लिए पाप करना पड़ता है, धर्म में पाप का त्याग होता

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अनमोल रिश्ते

एक बार संख्या 9 ने 8 को थप्पड़ मारा , 8 रोने लगा… पूछा मुझे क्यों मारा..? 9 बोला… मैं बड़ा हूँ, इसीलिये मारा ।

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मंगल आशीष

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