Tag: धर्मेंद्र

ख़्वाहिश

ज़िंदगी में सारा झगड़ा ही ख़्वाहिशों का है, ना तो किसी को ग़म चाहिए…. और ना ही किसी को कम….। (धर्मेंद्र)

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माँ

मृत्यु के लिए बहुत रास्ते हैं ​पर…. जन्म लेने के लिए ​केवल माँ माँ के लिए क्या लिखूँ ? माँ ने ख़ुद मुझे लिखा है

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माता पिता

अपना संपूर्ण जीवन देकर ‘पानी’ वृक्ष को बड़ा करता है…, इसलिए शायद “पानी” लकड़ी को कभी डूबने नहीं देती.. माता पिता की भी यही भूमिका है हमारे

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भगवान का साथ

अच्छे लोगों की भगवान… अच्छी (बड़ी) परीक्षा लेता है, परन्तु साथ नहीं छोड़ता, और बुरे लोगों को भगवान… बहुत कुछ देता है, परंतु साथ नहीं

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आज़माइश

एक शैतान ने एक बुज़ुर्ग से कहा तुम्हें ईश्वर पर बहुत विश्वास है ? तो एक काम करो, एक ऊँचे पहाड़ से छलांग लगा कर

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संसार / मुक्ति

घोंसला बनाने में कुछ यूँ मशग़ूल हो गए….. उड़ने को पंख थे हम ये भी भूल गए……….! (धर्मेंद्र)

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परिग्रह

परिग्रह से निश्चिंतता मानना, ऐसे ही है, जैसे, ज़हर से अमरता को मानना । (धर्मेंद्र)

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पर्यावरण

मेरी चिता सजाने के लिए, इन पेड़ों को मत काटो…. यदि अगला जन्म पक्षियों का मिला, तो घोंसला कहाँ बनाऊँगा । (धर्मेंद्र)

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मानव

कितना अजीब है ना… 84 लाख योनियों में एक मानव ही धन कमाता है, पर अन्य कोई जीव कभी भूखा नहीं मरा, और मानव का

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मंगल आशीष

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