Tag: लालमणी भाई

मोह/पुरूषार्थ

मोह – घरवालों/प्रियजनों से, पुरूषार्थ – मोह कम करने का प्रयास । श्री लालमणी भाई

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भोजन की अपवित्रता

किसी अपवित्र वस्तु के संपर्क में आकर पवित्र वस्तु भी अपवित्र हो जाती है । अपवित्र भोजन लेने वालों के अंदर का धर्म भी अपवित्र

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बुनियाद

नींव को कोई नहीं खोदता, कोई नुकसान नहीं पहुँचाता । जिसके पास बुनियाद है, वही मालिक है । श्री लालमणी भाई (मकान के धराशायी होने

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वासना

विषयवासना में हम सुख मानते हैं । पर जिन्हें “गुणों की वासना” लग जाती है उन्हें विषयभोग दु:खदायी लगने लगते हैं । (श्री लालमणी भाई)

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परमामृत/अमृत

परमामृत और अमृत में  क्या अंतर है ? अमृत खुद ही सर्वोच्च है, फिर परमामृत ? अमृत लिया और दिया जाता है, परमामृत, आत्मा में

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हालात और खुशी

एक कौवा हर समय कांव कांव करता रहता था । राजा ने उसे पकड़वाकर कीचड़ में फिकवा दिया । कौवा – हम तो Mud Bath

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Collector

(श्री आर. के. जैन के शिवपुरी collector का चार्ज संभालने पर ) 1. Character वाला ही collector (जिलाधीश) बनता है , Characterless तो सिर्फ  collector

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अपने लिए

जब सब कहने लगें कि – “आप किसी काम के नहीं” । तब मानिए, आप अपने काम के हो गये हैं । श्री लालमणी भाई

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पद

पद* में रहो , पद* पर नहीं । (*पद = चरण/Position) चिंतन – श्री लालमणी भाई

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योग

योग यानि जोड़, किसका ? शरीर और आत्मा का, जब भी ये दोनों मिलेंगे, योग होगा, कर्म बंधेंगे चाहे वे भगवान ही क्यों न हों ।

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मंगल आशीष

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April 16, 2013

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