मुनि को बच्चों के रोने से अंतराय नहीं मानना चाहिये ।
आचार्य श्री कहते हैं कि – बच्चों का रोना तो उनके माँगने/माँग पूरी कराने की भाषा होती है ।
खुशी के आंसुओं से भी अंतराय नहीं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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अंतराय का मतलब जब त्यागी, वृत्ति और साधुओं के आहार में नख,केश,चींटी आदि के कारण से बाधा उत्पन्न होना अन्तराय कहलाता है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि बच्चों के रोने पर मुनियों को अन्तराय नहीं होता है। इसकी पुष्टि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भी की गई है।
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अंतराय का मतलब जब त्यागी, वृत्ति और साधुओं के आहार में नख,केश,चींटी आदि के कारण से बाधा उत्पन्न होना अन्तराय कहलाता है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि बच्चों के रोने पर मुनियों को अन्तराय नहीं होता है। इसकी पुष्टि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने भी की गई है।