देखते-देखते ही वर्ष का आरी महीना दिसंबर आ गया। ऐसे ही देखते-देखते अपने जीवन का अंतिम क्षण आ जाएगा।
जैसे साल भर का लेखा-जोखा आखिरी महीने में देखते हैं ऐसे ही जीवन का लेखा-जोखा(पाप/पुण्य, शुभ/अशुभ कर्म) तैयार किया क्या ?
चिंतन
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चिंतन में अंतिम को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अपने जीवन का पाप पुण्य, कर्मो आदि का लेखा जोखा परम आवश्यक है।
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चिंतन में अंतिम को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अपने जीवन का पाप पुण्य, कर्मो आदि का लेखा जोखा परम आवश्यक है।