अज्ञात / ज्ञात
स्कूल में तीन बकरी घुस आयीं, एक बच्चे ने उनपर 1, 2, 4, नं लिख दिये ।
सुबह तक उन बकरियों ने स्कूल में खूब गंदगी कर दी । सब ने मिलकर बकरियों को पकड़ कर बाहर कर दिया, पर उन्हें ‘3’ नं की बकरी नहीं मिली । सारी पढ़ाई बंद करके सब ढ़ूँढ़ने लगे, शाम हो गयी पर ‘3’ नं बकरी नहीं मिली ।
हम भी जीवन की शाम होने तक उस अज्ञात को ही खोजते रहते हैं/जिसमें सुख नहीं है, उसमें सुख खोजते रहते हैं ।
(डॉ.अमित)