अज्ञान-भाव :
1. औदायिक हैं – मोक्षमार्ग की अपेक्षा । जब ज्ञान की कमी को विषय बनाते हैं ।
2. क्षयोपशमिक हैं – ज्ञानावरण की अपेक्षा – मति, श्रुत, अवधि, मनःपर्यय ज्ञान, क्षयोपशमिक ज्ञान हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
औदायिक का मतलब जिस कर्म के उदय से जीव के औदारिक आदि की रचना होती है। मति,श्रुत, अवधि ज्ञान क्षयोपाशमिक ज्ञान है। अतः अज्ञान भाव औदायिक है, मोक्ष मार्ग की अपेक्षा,यह ज्ञान की कमी को विषय बनाते हैं। जबकि ज्ञानावरण की अपेक्षा मति श्रुत अवधि ज्ञान क्षयोपाशमिक ज्ञान है।
मोक्षमार्ग में सुमति/सुश्रुत आदि प्रकट न होना, ज्ञान की कमी/ कर्मोदय से;
पर ये चारों ज्ञान हैं क्षयोपशमिक ही क्योंकि ये अपूर्ण/ पूर्ण आवरण के साथ प्रकट होते हैं ।
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औदायिक का मतलब जिस कर्म के उदय से जीव के औदारिक आदि की रचना होती है। मति,श्रुत, अवधि ज्ञान क्षयोपाशमिक ज्ञान है। अतः अज्ञान भाव औदायिक है, मोक्ष मार्ग की अपेक्षा,यह ज्ञान की कमी को विषय बनाते हैं। जबकि ज्ञानावरण की अपेक्षा मति श्रुत अवधि ज्ञान क्षयोपाशमिक ज्ञान है।
“ज्ञान की कमी को विषय” banane ka kya meaning hai?
मोक्षमार्ग में सुमति/सुश्रुत आदि प्रकट न होना, ज्ञान की कमी/ कर्मोदय से;
पर ये चारों ज्ञान हैं क्षयोपशमिक ही क्योंकि ये अपूर्ण/ पूर्ण आवरण के साथ प्रकट होते हैं ।
Okay.