अनुभूति

पहली बार एक महिला माँ बनने वाली थी ।
उसने अपनी सास से कहा – मैं सोने जा रही हूँ, जब बच्चा हो जाये तो म्य्झे जगा देना ।
सास – तुझे मैं जगाऊँगी या तू पूरी दुनियाँ को जगायेगी !!

(श्री बी. के. जैसवाल)

जिसको अनुभूति हो जाती है, उसे तथा दुनियाँ को स्वत: पता लग जाता है, बताने की जरूरत नहीं होती है ।

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