दौड़
हम सब 100 km/h या उससे अधिक की speed से अपने जीवन की गाड़ी दौड़ा रहे हैं।
ना तो side के सुंदर दृश्य देख पा रहे हैं, ना ही दौड़ने का आनंद।
जीवन में दौड़ तो जरूरी है पर चम्मच में नींबू लेकर दौड़ने वाली race |
नींबू हैं – हमारे परिवाजन, हमारी सेहत, moral आदि।
यदि नींबू गिर गये तो race बेकार।
नींबूओं का balance सम्भालते हुए जितना तेज दौड़ सकते हैं उतना ही दौड़ें ।
(श्री गौरव)
One Response
Sach mein aaj hum bhag rahe hain sirf paise aur status ke peeche…yadi hum daily sone se pahle 5 min apna analysis kare to we will feel..that every day we are lossing many important things like Punya,health man ki shanti ……..and getting pap ,lobh,ego………hum bas apne punya rupi sampada ko use karke pap kama rahe hain…