अभव्य को अभव्य-सिद्ध कहा यानी अभव्य दशा में सिद्धि है। (सिद्धि = जो जिस रूप में है, उसी रूप रहेगा) ऐसे ही यदि अज्ञान में सिद्धि है तो अज्ञान-सिद्ध।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा- 384 )
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अभव्य सिद्ध की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
अज्ञान में सिद्ध hai ya अज्ञान में सिद्धि hai ?
सिध्दि।
Okay.
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4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने अभव्य सिद्ध की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
अज्ञान में सिद्ध hai ya अज्ञान में सिद्धि hai ?
सिध्दि।
Okay.