इसे गुण श्रेणी निर्जरा भी कहते हैं।
गुण = निर्जरा गुणाकार रूप से।
श्रेणी = पंक्ति में एक के बाद एक।
पहले समय में जितना द्रव्य निर्जीर्ण होगा, अगले समय में असंख्यात गुणा, तीसरे समय में दूसरे समय का फिर से असंख्यात गुणा।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि श्री का कथन सत्य है कि असंख्यात गुणी निर्जरा को गुण श्रेणी निर्जरा भी कहते हैं। अतः पहिले समय में जितना द़व्य निर्जीण होगा, इसके बाद असंख्यात गुण, तीसरे समय में दुसरे समय का असंख्यात गुण।
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मुनि श्री का कथन सत्य है कि असंख्यात गुणी निर्जरा को गुण श्रेणी निर्जरा भी कहते हैं। अतः पहिले समय में जितना द़व्य निर्जीण होगा, इसके बाद असंख्यात गुण, तीसरे समय में दुसरे समय का असंख्यात गुण।