आकुलता व्याकुलता कर्मोदय से नहीं, पुरूषार्थ की कमी से होती है ।
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यह कथन बिलकुल सही है।
जब आकुलता और व्याकुलता होती है तो कमोँ से जोड लेते हैं,यह उचित नहीं है।जो लोग धर्म से जुडते हैं वे लोग कभी भी विचलित नहीं होते हैं।अतःउचित होगा कि उनको पुरुषार्थ करना चाहिए जिससे आकुलता और व्याकुलता नहीं होगी।
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जब आकुलता और व्याकुलता होती है तो कमोँ से जोड लेते हैं,यह उचित नहीं है।जो लोग धर्म से जुडते हैं वे लोग कभी भी विचलित नहीं होते हैं।अतःउचित होगा कि उनको पुरुषार्थ करना चाहिए जिससे आकुलता और व्याकुलता नहीं होगी।