आत्म-निंदा निराशा का कारण नहीं,
आत्मा के शुद्धिकरण में सहायक होती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मनिंदा निराशा का कारण नहीं होती है बल्कि आत्मा के शुद्धीकरण में सहायक होती है। अतः जीवन में किसी की निंदा नहीं करना चाहिए,वह पाप का भागी होता है,
अतः जीवन में हमेशा अपनी आत्मनिंदा करना परम आवश्यक है ताकि जीवन में कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि आत्मनिंदा निराशा का कारण नहीं होती है बल्कि आत्मा के शुद्धीकरण में सहायक होती है। अतः जीवन में किसी की निंदा नहीं करना चाहिए,वह पाप का भागी होता है,
अतः जीवन में हमेशा अपनी आत्मनिंदा करना परम आवश्यक है ताकि जीवन में कल्याण हो सकता है।