आत्मा
शराबी ने नशे में सारे साथियों को भोजन का निमंत्रण दे दिया। सब पीछे-पीछे घर आ गये।
पत्नी ने कह दिया –> वे घर में नहीं हैं।
साथी –> हमने खुद उसे घर में घुसते हुए देखा है !
शराबी –> जब गृहस्वामिनी पत्नी कह रही है कि मैं घर में नहीं हूँ तो मानते क्यों नहीं ?
“मैं” आत्मा हूँ। यह कौन कह रहा है ?
वही गृह (शरीर)-स्वामी है (पत्नी की तरह)।
उसकी मानते क्यों नहीं ??
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
4 Responses
आत्मा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आत्मा का ज्ञान होना परम आवश्यक है।
1) ‘वही गृह (शरीर)-स्वामी है (पत्नी की तरह)।’ Yahan par ‘गृह’ se kya samjhe ?
2) Is example me pati, ‘Atma’ ka aur patni, ‘Sharir’ ka prateek hai na ?
In 2 points ko clarify karenge, please ?
थोड़ा चेंज किया है…
1) शरीर।
2) पति शरीर, पत्नी आत्मा(गृहस्वामिनी)।
Okay.