आनंद

पूर्ण आनंद साधु को ही जैसे बुखार उतरने पर आता है।
गृहस्थ का आनंद तो वैसा है जैसे मरीज का बुखार 105 डिग्री से 101 डिग्री हो गया हो।

निर्यापक निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी

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2 Responses

  1. मुनि वीरसागर महाराज जी का कथन सत्य है कि पूर्ण आनन्द साधू को जैसे बुखार उतरने का होता है! गृहस्थ का आनंद तो वैसा हैं, जैसे मरीज का बुखार 105 डिग्री सें 101 डिग्री का हो जाता है! जीवन में हर परिस्थितियों में हर जीव को आनंद लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!

  2. सजने में संकट बहुत,
    तजने में आनंद।।
    इस बात को बंधुओ,
    लोग समझते चंद।।

    साधू के आनंद को
    समझ सके न कोय।
    त्यागी को आनद जो
    रागी को ना होय।।,

    आलौकिक आनंद में,
    राग द्वेष है बाधा।
    आनंद उसी को ज्यादा,
    जिसने इनको साधा।

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