100 लोगों को सुगंधित पुलाव दिया गया। शैफ ने कहा चावल जैसा एक कंकड़ रह गया है। 1 व्यक्ति को छोड़कर सब डरे-डरे/सावधानीपूर्वक खाते रहे। पुलाव का आनंद भय में खो गया।
कोरोना वही कंकड़ था जो ज्यादातर को जीवन रूपी पुलाव का आनंद नहीं लेने दे रहा था।
(अपूर्व श्री)
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4 Responses
उपरोक्त कथन सत्य है कि डर के कारण आनंद नही आता है! अतः जीवन में भय निकालने का प़यास करना चाहिए ताकि जीवन में आंनद रह सकता है! भर को समाप्त करने के लिए कर्म सिद्वांत पर भरोसा रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि डर के कारण आनंद नही आता है! अतः जीवन में भय निकालने का प़यास करना चाहिए ताकि जीवन में आंनद रह सकता है! भर को समाप्त करने के लिए कर्म सिद्वांत पर भरोसा रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
Wo ek vyakti, kiska soochak hai ?
समझदार.
Okay.