आयु-बंध हो जाने के बाद, गति-बंध भी आयु-बंध के अनुसार ही होने लगता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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आयु या गति बंध जिस कर्म के उदय से जीव चार गतियों में होता है। अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि आयु बंध हो जाने के बाद,गति बंध भी आयु बंध के अनुसार ही होने लगता है। अतः जीवन में कर्म अच्छे करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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आयु या गति बंध जिस कर्म के उदय से जीव चार गतियों में होता है। अतः मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि आयु बंध हो जाने के बाद,गति बंध भी आयु बंध के अनुसार ही होने लगता है। अतः जीवन में कर्म अच्छे करना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।