आलोचक/प्रशंसक

आलोचक कैंची हैं जो बस काटते ही रहते हैं ।
प्रशंसक सुई हैं जो सिलते/जोड़ते रहते हैं ।
कैंची को दर्जी पैरों में रखता है, सुई को पगड़ी में रखता है ।
आप कहाँ रहना चाहते हो ?

मुनि श्री तरुणसागर जी

Share this on...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

June 26, 2011

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031