बिना आहार के आदिनाथ भगवान करीब 13 माह रहे,
बाह्य कारण….वज्रवृषभ नाराच संहनन, अंतरंग संकल्प।
सामान्यत: विहार तथा आत्मध्यान के लिये आहार आवश्यक होता है और आत्मध्यान से ही केवलज्ञान की प्राप्ति होती है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः सबकुछ में से उतना ही आहार लेना चाहिए जिसमें आत्मा अपना कार्य कर सकता है!
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है! अतः सबकुछ में से उतना ही आहार लेना चाहिए जिसमें आत्मा अपना कार्य कर सकता है!