दिगम्बरत्व को गुरु मानने पर पात्रता होती है, वरना भोजन तो माँगने वालों को भी दिया जाता है ।
नवधा भक्ति गुरु मानने की स्वीकृति है,
गुरु को आहार के समय अवधि-ज्ञान लगाने की मनाही है (वरना उससे पात्रता जान लेते) ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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3 Responses
नवधाभक्ति-आहार के लिए साधु को अपने घर के समीप आता देखकर श्रद्वा पूर्वक पड़गाहन करना,आदर पूर्वक उच्च स्थान पर बिठाना,पाद प्रक्षालन,अष्ट द़व्य से पूजन करना,मन शुद्वी,वचन शुद्वी,काय शुद्वी ओर आहार शुद्धि बोलकर उन्हे नमोस्तु करना यह नवधाभक्ति कहलाती है। अतः आहार देने की पात्रता उसकी होती है जो नवधाभक्ति करता है। गुरु को आहार लेने के लिए नवधाभक्ति की पात्रता रखते हैं। गुरु को अवधि ज्ञान लगाने की आवश्यकता नहीं रहती हैं।
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नवधाभक्ति-आहार के लिए साधु को अपने घर के समीप आता देखकर श्रद्वा पूर्वक पड़गाहन करना,आदर पूर्वक उच्च स्थान पर बिठाना,पाद प्रक्षालन,अष्ट द़व्य से पूजन करना,मन शुद्वी,वचन शुद्वी,काय शुद्वी ओर आहार शुद्धि बोलकर उन्हे नमोस्तु करना यह नवधाभक्ति कहलाती है। अतः आहार देने की पात्रता उसकी होती है जो नवधाभक्ति करता है। गुरु को आहार लेने के लिए नवधाभक्ति की पात्रता रखते हैं। गुरु को अवधि ज्ञान लगाने की आवश्यकता नहीं रहती हैं।
Guru, “ahaar” ke time, Avadhi gyan kyun nahi laga sakte?
यदि आहार के समय अवधिज्ञान लगा लिया तो आहार ही नहीं ले पायेंगे क्योंकि अवधिज्ञान में तो सूक्ष्म द्रव्यात्मक तथा भावात्मक अशुद्धतायें दिखने लगेंगी ।