उत्तम ब्रम्हचर्य
- आत्म कल्याण के लिये पांचों इन्दियों के विषयों/पापों को छोड़ना उत्तम ब्रम्हचर्य है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी ब्रम्हचर्य के लिये इष्ट, गरिष्ठ, अनिष्ट आहार ना लेने की सावधानी बताते हैं ।
शारीरिक श्रंगार और कुसंगति इसमें बड़ा अवरोध है ।
- आत्मा में रमण करना उत्तम ब्रम्हचर्य है ।
रमण करना तो हमारा स्वभाव है पर स्वयं में रमण ब्रम्हचर्य और पर पदार्थों में अब्रम्ह है ।
- मन वाला तो ठीक पर मतवाला ठीक नहीं ।
- गृहस्थों के लिये एक पत्नी/एक पति संयम को ब्रम्हचर्याणुव्रत कहा है ।
- शील के बिना कोई धर्म का स्वाद ले ही नहीं सकता है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी