आचार्य श्री समंतभद्र स्वामी ने अरहंत भगवान को भी शौच-धर्म युक्त नहीं कहा, सिर्फ सिद्ध भगवान की शौच-धर्म पूर्णता मानी है।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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4 Responses
उत्तम शौच का तात्पर्य जीवन में पवित्रता, आचरण में नम़ता एवं विचारों में निर्मलता होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। लोभ, लालच का मोह त्याग करना परम आवश्यक है।
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उत्तम शौच का तात्पर्य जीवन में पवित्रता, आचरण में नम़ता एवं विचारों में निर्मलता होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है। लोभ, लालच का मोह त्याग करना परम आवश्यक है।
Iska kya reason hai ?
आत्मा के साथ शुभ/ अशुभ कर्म बंधे होने से पूर्ण पवित्रता नहीं हो सकती है।
Okay.