उपादान

उपादान के अनुसार ही कार्य हो, ऐसा नियम नहीं है,
वरना अच्छी दाल से टर्रा दाल कैसे पैदा हो जाती है ।
यह कारण-कार्य व्यवस्था की कथंचित्तता को सिद्ध करती है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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