कर्म के कारण, वर्तमान में मेरा उपादान का तो अशुद्ध परिणमन है ।
ध्येय अशुद्ध से शुभ और शुभ से शुद्ध बनाना है, जैसे काले से लाल बाल करना ।
पर शुद्ध बनने के लिये पहले शरीरादि से लगाव हटाना पड़ेगा ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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4 Responses
उपादान का मतलब किसी कार्य के होने में जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन करें वह उपादान कारण है, जैसे रोटी के बनने में गीला आटा उपादान कारण है। अतः उक्त कथन सत्य है कि कर्म के कारण वर्तमान में मेरा उपादान का अशुभ परिणमन है लेकिन ध्येय अशुद्ध से शुभ और शुभ में शुद्ध बनाना है जैसे काले से लाल करना। लेकिन शुद्ध बनने के पहले शारीरादि से लगाव हटाना आवश्यक ।
अतः जीवन में शारीरादि लगाव हटाना चाहिए ताकि शुद्ध भाव का उपादान मान कर चलना चाहिए ताकि जीवन सार्थक हो सकता है।
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उपादान का मतलब किसी कार्य के होने में जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन करें वह उपादान कारण है, जैसे रोटी के बनने में गीला आटा उपादान कारण है। अतः उक्त कथन सत्य है कि कर्म के कारण वर्तमान में मेरा उपादान का अशुभ परिणमन है लेकिन ध्येय अशुद्ध से शुभ और शुभ में शुद्ध बनाना है जैसे काले से लाल करना। लेकिन शुद्ध बनने के पहले शारीरादि से लगाव हटाना आवश्यक ।
अतः जीवन में शारीरादि लगाव हटाना चाहिए ताकि शुद्ध भाव का उपादान मान कर चलना चाहिए ताकि जीवन सार्थक हो सकता है।
“काले से लाल बाल करना” ka kya meaning hai?
1) बदलाव, अशुभ से शुभ, शुभ से शुद्ध
2) जो अभी शरीर के सजाने में लगा है/ बाल रंग रहा है, वह शुद्ध की बात भी कैसे कर सकता है !
Okay.