करण में काल व परिणाम

अध:करण = सातिशय अप्रमत्त/ निचले करण परिणाम,
परिणाम असंख्यात लोक प्रमाण (1 लोक के प्रदेश X असंख्यात लोक), अनेक जीवों की अपेक्षा, 1 जीव की अपेक्षा तो 1 परिणाम ही।
काल….अपूर्वकरण से संख्यात गुणा,
अपूर्वकरण का संख्यात गुणा अनिवृत्तिकरण में, पर है तीनों का total अंतर्मुहूर्त ही।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. मुनि महाराज जी का करण में काल व परिणाम का जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य! जीवन में काल का परिणाम अवश्य मिलता है, अतः उसको स्वीकार कर लेना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!

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