कर्म स्वतंत्र पदार्थ है, पर जीव को परतंत्र कर देता है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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कर्म—जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है यह सब उसकी क़िया या कर्म ही है ।
कर्म के द्वारा ही जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है।
अतः यह कथन सत्य है कि कर्म स्वतंत्र पदार्थ है,जीव को परतंत्र कर देता है।
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कर्म—जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है यह सब उसकी क़िया या कर्म ही है ।
कर्म के द्वारा ही जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है।
अतः यह कथन सत्य है कि कर्म स्वतंत्र पदार्थ है,जीव को परतंत्र कर देता है।